सलाखों में पहुंचा केवायसी का काम करने वाला मास्टर माइंड के्रडिट कार्ड एक्टिवेशन की आड़ में करता था राशि का ट्रांजेक्शन

उज्जैन। के्रडिट कार्ड एक्टिवेशन की आड़ में 15 से अधिक लोगों को लाखों की चपत लगा चुका आरोपी राज्य सायबर सेल की गिरफ्त में आ गया। उसके 2 साथी पूर्व में गिरफ्तार हो चुके थे। आरोपी को न्यायालय में पेश कर जेल भेजा गया है।
बजाज फिनसर्व अधिकारी सौरभ धाकड़ ने जनवरी 2024 में राज्य सायबर सेल में शिकायत दर्ज कराई थी कि बजाज फिनसर्व, आरबीएल के्रडिट कार्ड धारको की बिना जानकारी के उनके खातों से अवैध ट्रांजेक्शन की शिकायत मिल रही है। राज्य सायबर सेल पुलिस अधीक्षक लीना मारोठ ने उज्जैन जोन ने मामले की गंभीरता को देख धारा 419, 420 के साथ 66 सी आईटी एक्ट का मामला दर्ज कर विवेचना में लिया और जांच के लिये बनाई गई टीम में निरीक्षक अमित परिहार, एसआई जितेन्द्र सिंह सोलंकी, एएसआई हरेन्द्रपाल सिंह राठौर, प्रवीण सिंह पंवार, आरक्षक कमल सिंह वरकडे, प्रदीप यादव, सुनिल पंवार, महिला आरक्षक तृप्ती लोधी, रजनी निगवाल को शामिल किया। टीम ने पड़ताल शुरू की और आॅनलाइन ट्रांजेक्शन के संबंध पेमेंट प्रोसेस करने वाली यूपीआई एप्स से जानकारी प्राप्त की तो सामने आया कि केवायसी करने के लिये अधिकृत कर्मचारी यांशु पिता स्व. प्रमोद शर्मा निवासी शास्त्रीनगर की भूमिका संदेहादस्पद है। जिसके बाद धारा 409 का इजाफा किया। यांश शर्मा फरार हो चुका था, लेकिन उसके द्वारा की जा रही धोखाधड़ी में शामिल राहुल सूर्यवंशी और गौरव चौहान को गिरफ्तार कर लिया। यांशु लगातार फरार चल रहा था, जिसकी मोबाइल लोकेशन ट्रेसिंग पर थी। 14 माह बाद लोकेशन इंदौररोड त्रिवेणी हिल्स की मिलने पर राज्य सायबर सेल टीम ने यांशु को गिरफ्तर कर लिया। उसके पास से धोखाधड़ी में शामिल मोबाइल, बैंक खाते की चेकबुक, कम्पनी से प्राप्त सेलरी स्लिप और अन्य दस्तावेज जप्त किये गये। पूछताछ पूरी होने पर कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया है।
मोबाइल से डिलिट कर देता था ओटीपी मैसेज
निरीक्षक अमित परिहार ने बताया कि आरोपित यांशु शर्मा के्रडिट कार्ड प्राप्त करने वालों से उनका नम्बर प्राप्त कर लेता था। उसे पता होता था कि क्रेडिट कार्ड कब धारक के पास पहुंचेगा। क्रेडिट कार्ड पहुंचने पर उन्हे कॉल करता था और एक्टिवेशन की बात कहता था। उसी दौरान वह धारक का मोबाइल मांग लेता था और अपने रिश्तेदारों, दोस्तों के खातों में राशि का ट्रांजेक्शन करवा लेता था। धारक के मोबाइल पर आने वाला ओटीपी और मैसेज ट्रांजेक्शन होते ही डिलिट भी कर देता था। जिसके चलते धारको को राशि निकलने का पता नहीं चलता था। यांशु ने पुलिस विभाग के एएसआई. बीज निगम के अधिकारी, पॉलिटेक्निक कालेज के इंस्ट्रक्टर, सिविल हास्पिटल के कर्मचारी, हाटकेश्वर विहार कालोनी के किराना दुकान संचालक, पीडब्ल्यूडी कर्मचारी, शासकीय कन्या महाविद्यालय की कर्मचारी, नागझिरी के इलेक्ट्रिकल दुकानदार, ईट भटटे पर काम करने वाले, आटो ड्राइवर व मजदूरी करने वालों के साथ 6 लाख से अधिक की धोखाधड़ी की थी।
बिल आने पर धारको को चला पता
क्रेडिट कार्ड के माध्यम से राशि का ट्रांजेक्शन होने का पता धारको को उस वक्त चला जब बिल जमा नहीं होने पर उनकी सिविल खराब हुई और रिकवरी एजेंट लिगल नोटिस लेकर उनके पास तक पहुंचे। तब उन्होने बताया कि उसके मोबाइल पर कोई मैसेज नहीं आया है। उन्होने क्रेडिट कार्ड से खरीददारी भी नहीं की है। ना ही किसी को ओटीपी दिया है। रिकवरी एजेंट के आने पर क्रेडिट कार्ड धारक बजाज फिनसर्व कार्यालय पहुंचे और शिकातय दर्ज कराई।
धोखाधड़ी के बाद कई शहरों में काटी फरारी
धोखाधड़ी के आरोपी यांशु शर्मा ने पहली बार अगस्त 2023 में धोखाधड़ी की थी, उसने दिसंबर 2023 तक करीब 10 लाख का ट्रांजेक्शन एक्टिवेशन की आड़ में किया। उसके बाद काम छोड़कर चला गया। उसके खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद वह खुरई (सागर), भोपाल, शाजापुर, जयपुर उदयपुर, मथुरा आदि क्षेत्रों में काटी फरारी काटता रहा। पूछताछ में उसने कबूला कि कर्ज होने पर उसने क्रेडिट कार्ड धारको के साथ ठगी को अंजमा दिया। क्राइम वेब सिरीज और फिल्मो से मिले ज्ञान के आधार पर मोबाइल फोन बंद कर एक साल तक फरारी काटी।

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